भूमि आंवला लीवर की सूजन, सिरोसिस, फैटी लिवर, बिलीरुबिन बढ़ने पर, पीलिया में, हेपेटायटिस B और C में, किडनी क्रिएटिनिन बढ़ने पर, मधुमेह आदि में चमत्कारिक रूप से उपयोगी हैं। यह पौधा लीवर व किडनी के रोगो मे चमत्कारी लाभ करता है। यह बरसात मे अपने आप उग जाता है और छायादार नमी वाले स्थानो पर पूरा साल मिलता है। इसके पत्ते के नीचे छोटा सा फल लगता है जो देखने मे आंवले जैसा ही दिखाई देता है। इसलिए इसे भुई आंवला कहते है। इसको भूमि आंवला या भू धात्री भी कहा जाता है। यह पौधा लीवर के लिए बहुत उपयोगी है। इसका सम्पूर्ण भाग, जड़ समेत इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके गुण इसी से पता चल जाते हैं के कई बाज़ीगर भूमि आंवला के पत्ते चबाकर लोहे के ब्लेड तक को चबा जाते हैं। बरसात मे यह मिल जाए तो इसे उखाड़ कर रख ले व छाया मे सूखा कर रख ले। ये जड़ी बूटी की दुकान पंसारी आदि के पास से आसानी से मिल जाता है।
सेवन मात्रा-
आधा चम्मच चूर्ण पानी के साथ दिन मे 2-4 बार तक। या पानी मे उबाल कर छान कर भी दे सकते हैं। इस पौधे का ताज़ा रस अधिक गुणकारी है।
लीवर की सूजन, बिलीरुबिन और पीलिया में फायदेमंद
लीवर की यह सबसे अधिक प्रमाणिक औषधि है। लीवर बढ़ गया है या या उसमे सूजन है तो यह पौधा उसे बिलकुल ठीक कर देगा। बिलीरुबिन बढ़ गया है , पीलिया हो गया है तो इसके पूरे पौधे को जड़ों समेत उखाडकर, उसका काढ़ा सुबह शाम लें। सूखे हुए पंचांग का 3 ग्राम का काढ़ा सवेरे शाम लेने से बढ़ा हुआ बाईलीरुबिन ठीक होगा और पीलिया की बीमारी से मुक्ति मिलेगी। पीलिया किसी भी कारण से हो चाहे पीलिया का रोगी मौत के मुंह मे हो यह देने से बहुत अधिक लाभ होता है। अन्य दवाइयो के साथ भी दे सकते (जैसे कुटकी/रोहितक/भृंगराज) अकेले भी दे सकते हैं। पीलिया में इसकी पत्तियों के पेस्ट को छाछ के साथ मिलाकर दिया जाता है।
वैकल्पिक रूप से इसके पेस्ट को बकरी के दूध के साथ मिलाकर भी दिया जाता है। पीलिया के शुरूआती लक्षण दिखाई देने पर भी इसकी पत्तियों को सीधे खाया जाता है।
कभी नहीं होगी लीवर की समस्या-
अगर वर्ष में एक महीने भी इसका काढ़ा ले लिया जाए तो पूरे वर्ष लीवर की कोई समस्या ही नहीं होगी। LIVER CIRRHOSIS जिसमे यकृत मे घाव हो जाते हैं यकृत सिकुड़ जाता है उसमे भी बहुत लाभ करता है। Fatty LIVER जिसमे यकृत मे सूजन आ जाती है पर बहुत लाभ करता है।
हेपेटायटिस B और C में. Hepatitis b – hepatitis c
हेपेटायटिस B और C के लिए यह रामबाण है। भुई आंवला +श्योनाक +पुनर्नवा ; इन तीनो को मिलाकर इनका रस लें। ताज़ा न मिले तो इनके पंचांग का काढ़ा लेते रहने से यह बीमारी बिलकुल ठीक हो जाती हैइसमें शरीर के विजातीय तत्वों को दूर करने की अद्भुत क्षमता है।
मुंह में छाले और मुंह पकने पर-
मुंह में छाले हों तो इनके पत्तों का रस चबाकर निगल लें या बाहर निकाल दें। यह मसूढ़ों के लिए भी अच्छा है और मुंह पकने पर भी लाभ करता है।
स्तन में सूजन या गाँठ-
छोटे वक्ष को उन्नत और सूडोल बनाएँ
जलोदर या असाईटिस जलोदर या असाईटिस में लीवर की कार्य प्रणाली को ठीक करने के लिए 5 ग्राम भुई आंवला +1/2 ग्राम कुटकी +1 ग्राम सौंठ का काढ़ा सवेरे शाम लें।
खांसी-
खांसी में इसके साथ तुलसी के पत्ते मिलाकर काढ़ा बनाकर लें .
किडनी-
यह किडनी के इन्फेक्शन को भी खत्म करती है। इसका काढ़ा किडनी की सूजन भी खत्म करता है। SERUM CREATININE बढ़ गया हो, पेशाब मे इन्फेक्शन हो बहुत लाभ करेगा।गोमूत्र और हल्दी से केन्सर का इलाज
स्त्री रोगो में-
पेट में दर्द-
*मलेरिया के बुखार में इसके संपूर्ण पौधे का पेस्ट तैयार करके छाछ के साथ देने पर आराम मिलता है।
आँतों का इन्फेक्शन-
आँतों का इन्फेक्शन होने पर या अल्सर होने पर इसके साथ दूब को भी जड़ सहित उखाडकर , ताज़ा ताज़ा आधा कप रस लें . रक्त स्त्राव 2-3 दिन में ही बंद हो जाएगा .
*पेट में दर्द हो और कारण न समझ आ रहा हो तो इसका काढ़ा ले लें। पेट दर्द तुरंत शांत हो जाएगा। ये पाचन प्रणाली को भी अच्छा करता है।
शुगर में-
शुगर की बीमारी में घाव न भरते हों तो इसका पेस्ट पीसकर लगा दें . इसे काली मिर्च के साथ लिया जाए तो शुगर की बीमारी भी ठीक होती है।
पुराना बुखार-
पुराना बुखार हो और भूख कम लगती हो तो , इसके साथ मुलेठी और गिलोय मिलाकर, काढ़ा बनाकर लें। इसका उपयोग घरेलू औषधीय के रूप में जैसे ऐपेटाइट, कब्ज. टाइफाइट, बुखार, ज्वर एवं सर्दी किया जाता है।
अन्य उपयोग-
*प्लीहा एवं यकृत विकार के लिये इसकी जडों के रस को चावल के पानी के साथ लिया जाता है। *इसकी पत्तियों का पेस्ट आंतरिक घावों सुजन एवं टूटी हड्डियो पर बाहरी रूप से लगाने में किया जाता है। *खुजली होने पर इसके पत्तों का रस मलने से लाभ होता है। *इसे मूत्र तथा जननांग विकारों के लिये उपयोग किया जाता है। *इसे अम्लीयता, अल्सर, अपच, एवं दस्त में भी उपयोग किया जाता है। *इसकी पत्तियाँ शीतल होती है। *इसकी जडों का पेस्ट बच्चों में नींद लाने हेतु किया जाता है।गठिया ,घुटनों का दर्द,कमर दर्द ,सायटिका के अचूक उपचार
*एनीमिया, अस्थमा, ब्रोकइटिस, खांसी, पेचिश, सूजाक, हेपेटाइटिस, पिलिया एवं पेट में ट्यूमर होने की दशा में उपयोग किया जा सकता है। *इसे बच्चों के पेट में कीडे़ होने पर देने से लाभ पहुँचाता है।लिवर व् किडनी रोगियों के लिए विशेष। *लीवर व किडनी के रोगी को खाने मे घी तेल मिर्च खटाई व सभी दाले बंद कर देनी चाहिए। मूंग की दाल कम मात्रा मे ले सकते हैं। मिर्च के लिए कम मात्रा मे काली मिर्च व खटाई के लिए अनारदाना प्रयोग करना चाहिए।*भोजन मे चावल का अधिक प्रयोग करना चाहिए। हरे नारियल का पानी बहुत अच्छा है।
भोजन
औरतों मे सफ़ेद पानी जाने की प्रभावी औषधि
6- सफ़ेद पेठा (कूष्माण्ड जिसकी मिठाई बनाई जाती है) वह मिले तो उसका रस पिए व उसकी सब्जी खाए। पीले रंग का पेठा जिसे काशीफल या सीताफल कहते हैं वह न खाए। 7- चावल उबालते समय जो पानी (माँड़) निकलता है वह ले। वह स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। 8- गेहू का दलिया, लौकी की सब्जी, परवल की सब्जी दे 9- भिंडी, घुइया (अरबी), कटहल आदि न खाए।
गठिया ,घुटनों का दर्द,कमर दर्द ,सायटिका के अचूक उपचार
गुर्दे की पथरी कितनी भी बड़ी हो ,अचूक हर्बल औषधि
पित्त पथरी (gallstone) की अचूक औषधि
यकृत,प्लीहा,आंतों के रोगों मे अचूक असर हर्बल औषधि "उदर रोग हर्बल " चिकित्सकीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है|पेट के रोग,लीवर ,तिल्ली की बीमारियाँ ,पीलिया रोग,कब्ज और गैस होना,सायटिका रोग ,मोटापा,भूख न लगना,मिचली होना ,जी घबराना ज्यादा शराब पीने से लीवर खराब होना इत्यादि रोगों मे प्रभावशाली है|बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज के बाद भी निराश रोगी इस औषधि से ठीक हुए हैं| औषधि के लिए वैध्य दामोदर से 9826795656 पर संपर्क करें|